जिंदगी आसान हो तो, जिंदगी में क्या मज़ा
दर्द दिल में ना अगर हो, धड़कनों में क्या बचा...
अश्क आँखों से बहाए मोम की मानिंद पर
जब वो पत्थर ही न पिघला , भीगेपन से क्या मिला...
गुल, सितारे, चांदनी औ ओस की बूँदें यहाँ
इस ज़मीं पर न रहें तो , मेरी खातिर क्या बचा...
तोड़ कर खुशियों के धागे , ग़म की एक चादर बुनूं
ओढ़ उसको सो रहूँ , काटूं हंसाने की सज़ा...!!